चांद पर चंद्र यान -3 की सफल लैंडिंग के बाद भारत का सूरज मिशन आदित्य एल-1 स्पेस में सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य पर पहुंच गया, इसके लिए अंतरिक्ष यान Aditya L1 ने 126 दिनो तक 15 लाख किलोमीटर की यात्रा की और अपने लक्ष्य मंजिल लैंगरेज प्वाइंट यानी एल-1 पर पहुच गया ! लैंगरेज प्वाइंट (एल-1) पर पहुंचने के साथ-साथ अंतिम कक्षा में स्थापित हो जाएगा!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को बधाई दी है! प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना “एक्स” अकाउंट पर एक पोस्ट लिखा “भारत का पहला सौर वेधशाला आदित्य -एल1 अपना लक्ष्य तक पहुंच गया है!” ये दिखाता है कि कैसे हमारे वैज्ञानिक के प्रयास मुश्किल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को सच्चाई में बदल रहे हैं ! हम मानवता के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे”
भारत ने सूरज पर शोध करने के लिए अंतरिक्ष यान आदित्य-L 1 को 2 सितंबर 2023 को लॉन्च किया था
- इसरो समय-समय पर थ्रस्टर्स की मदद से अंतरिक्ष यान को निर्देश देगा ! L1 वह प्वाइंट है जहां धरती और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण शक्ति का संतुलन हो जाता है! हलांकि, ये प्वाइंट पूरी तरह से स्थिर नहीं है, इसलिए आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान को इस कक्षा में बनाए रखने के लिए निगरानी करनी होगी! अब आदित्य-L1 प्वाइंट से सूरज के चक्कर लगाएगा और ग्रहण जैसी बधाओं से आगे बढ़कर नए रहस्य खोलेगा!
- ये अंतरिक्ष के मौसम और दुनिया की गतिविधियों पर शोध करेगा! सौलर विंड के कणों को समझने की कोशिश करेगा!
- L1 प्वाइंट से आदित्य वेधशाला सूर्य पर साफ – साफ और लगतार नजर बना सकेगा!
- आदित्य -L1 अंतरिक्ष यान अपने साथ कुल 7 पेलोड लेकर गया है और ये पेलोड सौर घाटों का व्यापक अध्ययन करेंगे ! ये सूर्य के सबसे बाहरी लेयर पर फोटोस्फेयर और कोरोमोस्फेयर की स्टडी करेगा !
- अपनी खास जगह से आदित्य के 3 उपकरण L1 पॉइंट के आस-पास का क्षेत्र और कणों का अध्ययन करेंगे ! बाकी 4 उपकरण सीधे सूर्य पर नजर रख कर हासिल करेंगे!
- इसरो को उम्मीद है कि ये मिशन ऐसी ही महत्तवपूर्ण जानकारी देगा, जिस से हम सूर्य के बारे में और विस्तार से जानकारी जुटाएंगे !
सूर्य मिशन क्यों है महत्तवपूर्ण
सूर्य के बारे में गहराई से जानकर हासिल करना अहम है क्योंकि ये सौरमंडल में हमारा सबसे नज़दीकी तारा है ! ग्रह इसी से अपनी ऊर्जा लेते हैं ! सूर्य से निकलने वाले विकिरण, गर्मी, कण और चुंबकीय क्षेत्र का हमारी धरती पर प्रभाव पड़ता है ! आदित्य L1 अंतरिक्ष के मौसम को बेहतर तरीके से समझने में भी मदद करेगा !
इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया में उत्सुकता से देखा जा रहा है, ये 2 सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था!
सूर्य – प्रथ्वी प्रणाली के बीच में मोजूद पांच स्थानो में एक L1 पॉइंट है और इसके आस पास के क्षेत्रो को हैलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वकर्षण प्रभाव के बीच बराबरी का है ! ये वे स्थान है, जहां दोनों पिंडों की गुरुत्व शक्ति एक दूसरे के प्रति संतुलन बनाती है ! यहाँ मौजुद वस्तु सूर्य या पृथ्वी के गुरुत्वकर्षण के प्रभाव में नहीं है ! क्योंकि पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच स्थानों पर स्थिरता मिलती है !
इसरो का इस प्रकार का ये प्रथम प्रयास है
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम के अनुसार ये पहली बार है कि इसरो इस तरह का प्रयास कर रहा है ! अंतरिक्ष यान का अंतिम कक्षा में पहुंचना काफी चुनौतीपूर्ण है और वही दूसरी तरफ, आदित्य-L1 अभियान की अंतरिक्ष मौसम और निगरानी समिति के अध्यक्ष और सौर वैज्ञानिक दिव्येंदु नंदी कहते हैं कि ये काफी अहम है कि अंतरिक्ष यान की गति और प्रक्षेप मार्ग को बदलने के लिए थर्स्टर्स की अचुक फायरिंग की जाए ! यदि प्रथम प्रयास में लक्ष्य हासिल नहीं हुई तो बाद में सुधार के लिए कई बार थर्स्टर्स फायरिंग करनी पड़ेगी !
अमेरिका और यूरोपीय अभियानों से क्यों बेहतर है इसरो का ये अभियान !
भारतीय खागोल भौतिकी संस्थान के प्रोफेसर आर रमेश के अनुसार भारत का आदित्य – L1 अमेरिका और यूरोप के सौर अध्ययन अभियान से बेहतर है ! इसमे कोरोना के धुंधली रोशनी का करीब से अध्ययन किया जाएगा ! इसके लिए पहली बार एकल्ट डिस्क आदित्य – L1 मिशन के साथ लगाई गई है !
जबकी अमेरिका और यूरोपियन साइंटिस्ट कोरोना से आने वाली धुंधली रोशनी का अध्ययन करने में सक्षम नहीं थे, क्योंकि इसके लिए खास एकल्ट की जरूरत होती है, जिस से फोटोस्फेयर को अवरुध किया जा सके !
यदि इस तरह से देखा जाए तो कोरोना के अध्ययन के लिए ये काफी उन्नत है!
5 साल बाद Aditya L-1 क्या होगा ?
अगले 5 साल तक आदित्य L-1 सूर्य अध्ययन करेगा, 5 साल बाद जब आदित्य L-1 का इंजन बंद भी हो जाएगा, तो भी ये वहीं पर बना रहेगा ! आदित्य L-1 ना ही धरती पर वापस आएगा और ना ही सूर्य के करीब जाकर उसकी गर्मी से नष्ट हो जाएगा, दरसल, आदित्य एल-1 धरती या सूरज के बीच में ऐसी जगह में फसा हुआ है, जहां पर दोनों तरफ का गुरुत्वकर्षण बराबर मात्रा में है, इसलिए वे दोनों में से कोई एक तरफ नहीं जा सकता है !
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